...

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मेरे हबीब
अब तू ही बता मेरे हबीब,
तुझे क्या लिखूँ मेरे हबीब,
उगते सूरज की लालिमा,
ढ़लती शाम की कनक तू,
फूटती बालियों का मनोरम,
खिलती कलियों की सुगंध,
कपकपी देती ठंडी बयार,
बरसते सावन की फ़ुहार,
खनकती पायलों की धुन,
कूकती कोयल की कूक,
उठते हुई समुंद्र की लहरें,
मचलते यौवन की उमंग,
बहते दरियाँ की खामोशी,
फ़िसलते रेत की कसक,
सुनी राहों का अकेलापन,
प्रकृति के रंगों की चमक,

© feelmyrhymes {@S}