...

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वो
वो मदमस्त है
रहता है अपनी ही रौ में ,
वो सर्द हवा का सितारा
ठिठुरन भर देता है छूअन से,

वो नदियों का प्रेमी है
वो डूबते सूरज का दीवाना,
पहाड़ों से याराना उसका
है पंछियों का दीवाना ,

उसे पसंद बातें करना
यहां वहां बिखरे नज़ारों से,
और बीच बीच में
खाली नज़रों से ताकना मुझे,

पत्थर फूल कांटे पत्ते हैं
सब उसके खजाने का हिस्सा ,
सोचती हूं शायद मैं भी हूं
उसकी कहानी का छोटा सा किस्सा,

उसे हर रंग पसंद है
हर बीता और आने वाला पल
उसे ये जहां पसन्द है
और मुझे????
मुझे इस जहां में वो मेरे संग .....



© Geeta Dhulia