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जो सुरुर है तेरी आंखों में
जो सुरुर है तेरी आंखों में वो बात कहां मयखाने में
इन नज़रों को पहचान सकें वो हुनर कहां जमाने में

मदहोश खूशबु हो,ख्वाब हो, खूबसूरत तुम परी हो
वोह चांद भी शर्मा रहा है अपनी चांदनी दिखाने में

आंखों से ज़रा काजल लेकर ग़ज़ल तुम पर लिखूं
देखो कैसा मज़ा आ रहा जलने वालों को जलाने में

सुबह का उजाला,शाम का रंग तुम इश्क केसरिया
कुछ - कुछ होता है दिल में तुमसे नजरें मिलाने में

ये हवाएं तेरी मुस्कान से हंसती है खिलखिलाती है
पायलें खुश हो जाती है तेरे कदमों में छनछनाने में

महफ़िल रचा दी मैंने अब बस तेरा इंतज़ार करूं
रौनकें छा जाएं चारों तरफ "मोनिका" तेरे आने में।