...

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प्रेम का खुमार
प्रेम का खुमार जब चढ़ता है किसी के सिर,
न समय का होता है ख्याल,
बस मन में में बनते हैं ख्याली पुलाव।
न होता दिन-दुनिया का होश,
मन के ख्याल होते हैं बहुत ही पाॅश
मन ख्याली पंख लगा कर,
सैर करता है दुनिया भर का।
समाज के रीति-रिवाज से दूर,
मन उड़ता है पूरे जोश में।
न किसी की आदर अनादर की चिंता होती,
मन तो बस घोड़े पर सवार,
तीव्र गति के पंख लगाकर,
बारंबार उड़ने को होता बेचैन।
अगर कोई इसे तोड़ने की कोशिश करें,
तो वह बन जाताआपके मन का हैवान।
और जो आपकी ताल से ताल मिलाता,
वह बन जाता आपका खासमखास।
डॉ अनीता शरण।