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शीर्षक - ज़ंजीर को तोड़कर।
शीर्षक - ज़ंजीर को तोड़कर।
इन जंजीरों को तोड़कर।
ऊँचे स्वरों में तीव्र शोर कर।
निकल पड़े अपनी राह को,
सबकुछ बस पीछे छोड़कर।
एक नई उड़ान पर अपने।
आज़ादी नाम कर अपने।
मस्त मलंग सी हवा संग,
ख़्वाहिश बांधकर अपने।
करना जो भी सब करने को,
गिरी की चोटी पर चढ़ने को।
तूफानों से टक्कर की ठान,
उनसे टकरा आगे बढ़ने को।
पता नहीं किसी मंज़िल की।
सुन चलता जा रहा दिल की।
मिले जो वही बनेगा मंज़िल,
है माना चुनोती मुश्किल की।
मेहनत करने जी तोड़ हम।
कर क़ाबू में अपने दौर हम।
दिखाएंगे ज़माने को एक दिन,
क़ामयाबी का चोला ओढ़ हम।
©Musickingrk
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर।
ऊँचे स्वरों में तीव्र शोर कर।
निकल पड़े अपनी राह को,
सबकुछ बस पीछे छोड़कर।
एक नई उड़ान पर अपने।
आज़ादी नाम कर अपने।
मस्त मलंग सी हवा संग,
ख़्वाहिश बांधकर अपने।
करना जो भी सब करने को,
गिरी की चोटी पर चढ़ने को।
तूफानों से टक्कर की ठान,
उनसे टकरा आगे बढ़ने को।
पता नहीं किसी मंज़िल की।
सुन चलता जा रहा दिल की।
मिले जो वही बनेगा मंज़िल,
है माना चुनोती मुश्किल की।
मेहनत करने जी तोड़ हम।
कर क़ाबू में अपने दौर हम।
दिखाएंगे ज़माने को एक दिन,
क़ामयाबी का चोला ओढ़ हम।
©Musickingrk
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