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ग़ज़ल
गजल लिखने की ज़िद,मैंने गजल लिख दिया,
देख औंस की बूंद जमी पर, मैंने सजल लिख दिया।
जब भी बात हुई ,जैसे रिमझिम बरसात हुई,
खोल यादों की तश्तरी ,मैंने उसको अजल लिख दिया।
हर बार मिली एक अदा ,एक नए ख्याल के साथ,
लिखने की बारी आई, उसे उनका का फजल लिख दिया।
कैसे गुजरेगी मेरे बगैर आपकी शाम, पूछा उन्होंने,
मैंने बिन बदरी जैसे होती है, कोई फसल लिख दिया।
ज़िक्र आवाज का करूं ,जैसे कोई सुर -सरगम
पूछा जब उन्होंने ,मैंने बात करने की पहल लिख दिया।
चाहत मोहब्बत नहीं पता ,फिर भी इतने करीब है वो,
जो तनहा गुजरते हैं बगैर उनके,वो पल लिख दिया।
दूर है अनु मगर हर जगह वो ही दिखती है, मुझे
यूं ही नहीं सामने पाकर ,मैंने ये गजल लिख दिया।
© Anu
देख औंस की बूंद जमी पर, मैंने सजल लिख दिया।
जब भी बात हुई ,जैसे रिमझिम बरसात हुई,
खोल यादों की तश्तरी ,मैंने उसको अजल लिख दिया।
हर बार मिली एक अदा ,एक नए ख्याल के साथ,
लिखने की बारी आई, उसे उनका का फजल लिख दिया।
कैसे गुजरेगी मेरे बगैर आपकी शाम, पूछा उन्होंने,
मैंने बिन बदरी जैसे होती है, कोई फसल लिख दिया।
ज़िक्र आवाज का करूं ,जैसे कोई सुर -सरगम
पूछा जब उन्होंने ,मैंने बात करने की पहल लिख दिया।
चाहत मोहब्बत नहीं पता ,फिर भी इतने करीब है वो,
जो तनहा गुजरते हैं बगैर उनके,वो पल लिख दिया।
दूर है अनु मगर हर जगह वो ही दिखती है, मुझे
यूं ही नहीं सामने पाकर ,मैंने ये गजल लिख दिया।
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