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दिल-ए-हैरान
दिल-ए-हैरान को ये क्या हुआ है
जिसे माना ख़ुदा वो ख़ुद दग़ा है
महोब्बत की नई राहें सुहानी
चले जब दूर तो समझे जफ़ा है
ख़तम हो ख़ुद तुम्हें ख़ुद में समाया
बिछड़ कर यूं लगा अब क्या बचा है
बड़ा कहते थे महोब्बत है शुरू में
कहें जब हम अभी तो ये गुनाह है
तुम्हारी याद ही मेरी शराब
उतर सकता नहीं ऐसा नशा है
कभी तो ज़िक़्र कर मेरी वफ़ा का
मिला है "बाद" को वो भी हवा है
© Pavan
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