...

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कौन मुझको याद करे
कौन अब मुझको याद करे है...
कौन अब भला फरियाद करे है....
क्यों वो भूल गया मुझको ऐसे .....
जैसे कोई कैद से पंछी आज़ाद करे है
क्यों भला मैं याद दिलाऊंगा उसको....
क्यों भला मैं आईना दिखाऊंगा उसको....
क्यों भला गफलत की नींद से जगाऊंगा उसको...
वो जो अब मुझसे अंजान बनकर बात करे है ...
कहने को सारे के सारे अब ज़ख़्म हरे है...
मगर मुस्कुराहट पर लोग नज़र भी करे है...
अफसोस तो रहेगा मुझको भी अब अख़्तर...
क्योंकि वो मेरा होकर भी मुझसे दूर ख़ुद को करे है....
© sydakhtrr