...

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दिल ए नादान
मुझे पता है तेरे दिल के छालों का
मुझे तो जवाब चाहिए अपने सवालों का

जब दिल ए नादान से डरते हो
फिर क्यों मोहब्बत करते हो

क्यों तड़पते हो सिसकते हो
क्यों आहें भरते हो
रूह में उतरने की भी ख्वाहिश रखते हो
ओर दिल टूटे नही इसकी भी फरमाइश रखते हो
आशिकी करके अंजाम से अंजान रहते हो
तुम्हे पता है फिर भी तुम मेरी जान रहते हो।
© SYED KHALID QAIS