3 views
ज्ञान के चश्मे
चरणों की धूल लगे चंदन,
आ,करें मिलकर 'अभिनंदन'।
दें जीवन बस मात-पिता,
'गुरु'सिखाये चलने का रास्ता।
ज्ञानरूपी बहते हुए चश्मे,
सुनाये प्रगति के नये नये नगमे।
छड़ी,चश्मा और साइकिल,
दें सीख हरकदम और हरपल।
गुरुकुल से नव-पाठशाला,
घनिष्ठ मित्र ब्लैक बोर्ड काला।
छिपे हुए आज भी 'राज़'।
भले बदले ज़माने के 'अंदाज़'।
युगों से देखो है 'निर्माता",
'गिल' शिक्षक भी है विधाता।
© Navneet Gill
आ,करें मिलकर 'अभिनंदन'।
दें जीवन बस मात-पिता,
'गुरु'सिखाये चलने का रास्ता।
ज्ञानरूपी बहते हुए चश्मे,
सुनाये प्रगति के नये नये नगमे।
छड़ी,चश्मा और साइकिल,
दें सीख हरकदम और हरपल।
गुरुकुल से नव-पाठशाला,
घनिष्ठ मित्र ब्लैक बोर्ड काला।
छिपे हुए आज भी 'राज़'।
भले बदले ज़माने के 'अंदाज़'।
युगों से देखो है 'निर्माता",
'गिल' शिक्षक भी है विधाता।
© Navneet Gill
Related Stories
8 Likes
0
Comments
8 Likes
0
Comments