...

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तुम में और बारिश ...
जब तुम में और बारिश मिलती है,
फिर जीवन की रेखाएँ भी नयी बन जाती हैं।
बूंद-बूंद से भिगी धरती की गोदी में,
हमारी ख्वाबों की खुशियाँ बिखर जाती हैं।

तुम में और बारिश की रिमझिम,
जैसे किसी अद्भुत कविता की शब्दावली।
वो बारिश की बूंदें, जो तुम्हारे बालों में झूलती हैं,
मेरे दिल की तारों को भी गुनगुनाती हैं।

तुम में और बारिश की खुशबू,
जैसे गुलाब की खिली हुई खुशबू।
वो भीगी मिट्टी की खुशबू, जो तुम्हारे आगे आती है,
मेरे दिल की धडकनों को भी बहलाती है।

तुम में और बारिश की आवाज़,
जैसे स्वर्ग से आई हो एक दिव्य गाथा।
वो बारिश की बूंदें, जो तुम्हारे खिड़की पर टकराती हैं,
मेरे दिल की धडकनों को भी जगाती हैं।

तुम में और बारिश की राहें,
जैसे जीवन की अनगिनत खुशियाँ।
वो भीगी सड़कों पर चलती हैं, जो तुम्हारे कदमों की छाया में,
मेरे दिल की धडकनों को भी नयी दिशा देती हैं।

तुम में और बारिश, ये जोड़ी,
जैसे स्वर्ग की अपूर्ण खोज।
वो बारिश की बूंदें, जो तुम्हारे साथ गिरती हैं,
मेरे दिल की धडकनों को भी अनमोल बनाती हैं।