...

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नज़रिया
नजरिये तो हमारे उंदा है साहब,
झोंपड़ीयों मे भी महल की रौनक हो
ना दारु हो और न ही दवा,
ईमान से सजी नजरीये मे
ज़िन्दगी जीने का जज्बा हो
खुदके लिए इज्जत इतनी बेशुमार हो की,
जहां दुसरे भी हीरे जैसे किमती नजर आएं


© Birendra Debta