...

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"वफ़ा के अफसाने "
नज़र से उतर गया ,
जो नज़र में समाया था
हमने तो मुहब्बत सिखाई,
न जाने बेरूखी कंहा से लाया था
रहेंगे एक-दूजे का साया बनकर ,
ये उसके वादे थे
समझ न आया इसके पीछे,
कितने गलत इरादे थे
वफ़ा झूठी प्यार झूठा,
झूठ का शहर बसाया था
नज़र से उतर गया ,
जो नज़र में समाया था ।।
© Ranगीला🌺