...

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रोती बहुत हूँ...

तुम मेरा हाथ थामे रखना,
आजकल लड़खड़ाती बहुत हूँ.
अश्क मेरे तुम पोछ लेना,
आजकल रोती मैं बहुत हूँ मैं
खुद ही हाल मेरा तुम पूछ लेना,
आजकल चुप सी रहती बहुत हूँ.
तुम तो जानते हो ना....
भीतर सैलाब छुपाये,
मुस्कुराती बहुत हूँ .
अकेली रहती हूँ,
पर खुद को सबसे साथ बताती हूँ.
उदास होकर भी खुद की खुशी जताती हूँ..
भावो में बहकल उलझती बहुत हूँ.
भीतर दर्द का सैलाब छुपाये,
मैं मुस्कुराती बहुत हूँ ..
-Pragya 💕