जो चाहूं अगर मिल गया तो......
जो चाहूं अगर मिल गया
फिर गम क्या होगी
गिरने से पहले अगर संभल गई
तो फिर ठोकर क्या होगी
बिना रुके अगर में चलती गई
फिर वह सफर ही क्या होगी
बिना कुछ खोए अगर सब कुछ मिल गया
तो वह मिलना क्या होगी
शिक़ायत से मेरी अगर जिंदगी बदल जाए
तो फिर वो जीना ही क्या होगी
कल के फ़िक्र में अगर आज भी जिउ ना
तो फिर वो जिंदगी क्या होगी
© All Rights Reserved
फिर गम क्या होगी
गिरने से पहले अगर संभल गई
तो फिर ठोकर क्या होगी
बिना रुके अगर में चलती गई
फिर वह सफर ही क्या होगी
बिना कुछ खोए अगर सब कुछ मिल गया
तो वह मिलना क्या होगी
शिक़ायत से मेरी अगर जिंदगी बदल जाए
तो फिर वो जीना ही क्या होगी
कल के फ़िक्र में अगर आज भी जिउ ना
तो फिर वो जिंदगी क्या होगी
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