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सलाह ज़िन्दगी की..
ज़िन्दगी ने सवालात में कहा,
तूं अपनी जुस्तजू जता,,
क्या हुई खता जरा मुझे तो बता ।
मैंने भी बोला मर्ज इश्क की क्या है!,
जरा वो तो बता।।
सहमे से लहजे में बोली,
तुम क्यों मायूस होते हो!।
जुनूं ए इश्क ऐसी चीज है,
इसे गम के धागे में क्यों पिरोते हो!।।
दहलीज पर रख कदम क्यों रोते हो!,
नादां है दिल अगर..
तो ये बोझ क्यों ढोते हो!।।
मिलेगी चुनौतियां तुम्हें हर मोड़ पर,
देखती तमाशा मिलेगी दुनियां हर छोर पर।
महक बन फिजा की,
नजरों को यूं न दूर कर।
मलाल किस बात का,
गुल ए जहन को अपने महफूज कर।।
गम के परे तूं आगे की सोच,
सामने खड़ी मंजिल तेरी,,
हाथ बढ़ा के उसको रोक।।
कहीं हसीं तो कहीं गमगीन चेहरे मिलेंगे तुम्हें,
बहती नदियों की यही धार है।
चीर सीना मुश्किलों का बढ़ आगे,
भंवर ज़िन्दगी का यही सार है।।
written by (संतोष वर्मा)
आजमगढ़ वाले..खुद की ज़ुबानी..
तूं अपनी जुस्तजू जता,,
क्या हुई खता जरा मुझे तो बता ।
मैंने भी बोला मर्ज इश्क की क्या है!,
जरा वो तो बता।।
सहमे से लहजे में बोली,
तुम क्यों मायूस होते हो!।
जुनूं ए इश्क ऐसी चीज है,
इसे गम के धागे में क्यों पिरोते हो!।।
दहलीज पर रख कदम क्यों रोते हो!,
नादां है दिल अगर..
तो ये बोझ क्यों ढोते हो!।।
मिलेगी चुनौतियां तुम्हें हर मोड़ पर,
देखती तमाशा मिलेगी दुनियां हर छोर पर।
महक बन फिजा की,
नजरों को यूं न दूर कर।
मलाल किस बात का,
गुल ए जहन को अपने महफूज कर।।
गम के परे तूं आगे की सोच,
सामने खड़ी मंजिल तेरी,,
हाथ बढ़ा के उसको रोक।।
कहीं हसीं तो कहीं गमगीन चेहरे मिलेंगे तुम्हें,
बहती नदियों की यही धार है।
चीर सीना मुश्किलों का बढ़ आगे,
भंवर ज़िन्दगी का यही सार है।।
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आजमगढ़ वाले..खुद की ज़ुबानी..
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