...

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मातृ दिवस विशेष :-वो माँ है मेरी 💞
बड़े दिनों बाद जब में घर गया तो...
बिन बताए हाल जान लेने वाली ने पूछ लिया :-
बेटा...!
तेरा चेहरा उदास क्यों है,
नजरे कुछ बोल रहीं हैं, पर
जुबान ये ख़ामोश क्यों है?

क्य़ा करता मैं उस lie detector से
नजरे चुरा गया,
मैं खुश हूं ना माँ,
फिर रब की झूठी कसम खा गया।

वो भी तो माँ थी मेरी...
पीछा कैसे छोड़ती,
हर बार बस एक ही सवाल
तेरी जुबां कुछ....
और नजरे कुछ है बोलती।

दफन था जो दर्द सीने में
वो भी उफान मार गया,
हर ज़ख्म को हराने वाला
ममता के आगे हार गया।

माँ ने प्यार से सर पर हाथ रख
मेरे सारे ज़ख्मों को दिया,
बहुत बुरी है दुनियां ये कहकर
गले लग माँ से मैं रो दिया।

माँ ने जब पीठ थपथपाई तो
बचपन की वही थपकी याद आई,
हे माँ...हर जन्म मुझे
तेरा ही आँचल नसीब हो मुझे
दिल से मेरे यही फ़रियाद आई।

माँ के लिए दो शब्द :-
माँ कहने को एक शब्द मात्र है, पर इस एक शब्द में पूरी दुनियां सिमट गई है, माँ धरती माँ सी ही है हर चोट सह कर भी हमें गले से लगा लेती है।
LOVE YOU MAA 💞

चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान

© Mchet143