12 views
जख्म दिल के
कुछ भूले तो कुछ याद कर रोएं उम्र तमाम,
कुछ इस तरह कर दिया जीवन मैंने हराम,
दर्द अपनो के किसी से कह भी नहीं पाएं,
"ज़ख्म दिल के"गहरे कभी मेरे भर नहीं पाएं।
हँसी के लिए जिसकी भूल गए हम खुदको,
रोता ही छोड़ गए वो एक दिन तन्हा मुझको,
अहमियत उनकी उनको बता भी नहीं पाएं,
"ज़ख्म दिल के"हरे ही रहे मेरे भर नहीं पाएं।
कैसे कहें हमें कितना एतबार था उन पर,
खुद से भी ज्यादा भरोसा किया था उन पर,
पत्थर दिल ज़माना मगर हम बन नहीं पाएं,
"ज़ख्म दिल के"बेदर्द को दिखा नहीं पाएं।
लेखक_#shobhavyas
#WritcoQuote
#writcopoem
कुछ इस तरह कर दिया जीवन मैंने हराम,
दर्द अपनो के किसी से कह भी नहीं पाएं,
"ज़ख्म दिल के"गहरे कभी मेरे भर नहीं पाएं।
हँसी के लिए जिसकी भूल गए हम खुदको,
रोता ही छोड़ गए वो एक दिन तन्हा मुझको,
अहमियत उनकी उनको बता भी नहीं पाएं,
"ज़ख्म दिल के"हरे ही रहे मेरे भर नहीं पाएं।
कैसे कहें हमें कितना एतबार था उन पर,
खुद से भी ज्यादा भरोसा किया था उन पर,
पत्थर दिल ज़माना मगर हम बन नहीं पाएं,
"ज़ख्म दिल के"बेदर्द को दिखा नहीं पाएं।
लेखक_#shobhavyas
#WritcoQuote
#writcopoem
Related Stories
35 Likes
17
Comments
35 Likes
17
Comments