...

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"खनक ख़ुशी की"
खनक ख़ुशी की सुनी न अब तक,
ज़िन्दगी दुखों में बीतेगी कब तक..!

ये दुआ बद्दुआओं से हारती दिखती,
अरदास मेरी कब पहुँचेगी रब तक..!

जिधर जिधर गया हूँ थोड़ी राहत की तलाश में,
निराशा हाथ लगी है अब तक..!

मिलेगी मौत या चंद लम्हों की ज़िन्दगी,
गहरे जज़्बातों से ख़ुदा की बन्दगी..!

क्या दुखों का दरिया बहेगा,
रहेगी ज़िन्दगी की जद्दोजहद जब तक..!

ख़ामोशी में जीवन रहेगा आजीवन,
बातें कब आयेंगी न जाने यूँ लब तक..!

भोर सुहानी होगी भी या नहीं,
या बीतेगी ज़िन्दगी गहरे दुखों में शब तक..!
© SHIVA KANT