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स्पर्ष
मैने चाहा,
बस इतना सा स्पर्ष तुम्हारा
तुम्हारी हथेलियों में हो
हाथ मेरा...!
मैने चाहा,
तुम्हारी हथेलियों की
मेरे हथेलियों पर
मजबूत पकड़ का एक सहारा...!
मैने चाहा,
उसकी हल्की सी गर्माहट में
मैं भुला दूं
हमारे मिलन की हर बाधा...!
मैने चाहा,
भुला कर ये दुनियां
उस स्पर्श मात्र से ही
मैं जी लूं ये जीवन सारा...!
© अपेक्षा
बस इतना सा स्पर्ष तुम्हारा
तुम्हारी हथेलियों में हो
हाथ मेरा...!
मैने चाहा,
तुम्हारी हथेलियों की
मेरे हथेलियों पर
मजबूत पकड़ का एक सहारा...!
मैने चाहा,
उसकी हल्की सी गर्माहट में
मैं भुला दूं
हमारे मिलन की हर बाधा...!
मैने चाहा,
भुला कर ये दुनियां
उस स्पर्श मात्र से ही
मैं जी लूं ये जीवन सारा...!
© अपेक्षा
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