...

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प्रकृति का ऐहसास
#writcopoemchallenge

आज सब थमा हुआ सा हैं।
मैं बैठी तो उस नदी के किनारे हूं
लेकिन मानो
वे नदियां शांत होकर भी बहुत कुछ
कहना चाहती हो।
वो तट के किनारे पेड़
हवा के साथ झूम भी नहीं रहे।
ऐसा लग रहा,
वे इस संसार के लोगो से
कुछ नाराज़गी ज़ाहिर करना चाहती हो।
आज में पहले जैसी चमक उन बादलों में नहीं नज़र आ रही, क्यों कि
आज सब थमा हुआ सा हैं।
सूर्य भी अस्थ होने लगा है और
मुझसे ख़ामोशी से कोल्हाहाल
करते हुए कहना चाहता हैं कि
वो अब दोबारा उगना नहीं चाहता।
वो अब दोबारा उगना नहीं चाहता।।