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शीर्षक - नीलकंठ।
शीर्षक - नीलकंठ।
कमल अधर नयन बाण।
नीलकंठ दिखाते विषपान।
औघड़ घूमे बनकर बाबा,
छोड़ कैलास वास मसान।
बिच्छु कुंडल धारते कान।
मन को मोहे उनके घ्राण।
डमरू नाद त्रिशूल उन्माद,
रहते सदा शांत मुद्रित ध्यान।
सोम सूर्य नवग्रह गतिमान,
प्रत्येक केश ब्रह्मण्ड बखान।
पाप पुण्य शून्य माथे त्रिपुंड,
गंगा शुद्धि उनके जटा धाम।
देव-दानव सब पाते वरदान।
भक्तों को देखे एक समान।
ॐ उनकी प्रथम मुख वाणी,
उनका ही विस्तार वेद पुराण।
त्रिनेत्र प्रलय छीनते प्राण।
फनीपति वेष्टित नंदी यान।
हृदय दयालुता का भंडार,
ऐसे मेरे शिव शम्भू भगवान।
©Musickingrk
कमल अधर नयन बाण।
नीलकंठ दिखाते विषपान।
औघड़ घूमे बनकर बाबा,
छोड़ कैलास वास मसान।
बिच्छु कुंडल धारते कान।
मन को मोहे उनके घ्राण।
डमरू नाद त्रिशूल उन्माद,
रहते सदा शांत मुद्रित ध्यान।
सोम सूर्य नवग्रह गतिमान,
प्रत्येक केश ब्रह्मण्ड बखान।
पाप पुण्य शून्य माथे त्रिपुंड,
गंगा शुद्धि उनके जटा धाम।
देव-दानव सब पाते वरदान।
भक्तों को देखे एक समान।
ॐ उनकी प्रथम मुख वाणी,
उनका ही विस्तार वेद पुराण।
त्रिनेत्र प्रलय छीनते प्राण।
फनीपति वेष्टित नंदी यान।
हृदय दयालुता का भंडार,
ऐसे मेरे शिव शम्भू भगवान।
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