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दोस्ती
हर दिन मिलना नहीं हुआ पर,दोस्ती में मिठास अब भी नई है
सुना है कल कोई पूछ रहा था, जुहू वाली कहां गई है
संगीत के क्षेत्र में सदैव ही निरंतर गतिमान हो तुम
विद्यालय की संस्कृति का अटूट स्वाभिमान हो तुम
अपने बारे में तो सबको,अभी सही-सही समझाना है
चंद घास के तिनकों को,तूफां भी तो दिखाना है
कुछ तो मिलेंगे बस तुम्हारी गलतियों पर उपहास करनेवाले
ये वही हैं,जो होते हैं दिमाग के घर से बाहर प्रवास करनेवाले
समझदार तुम हो ही,अब मेरी नादानी को माफ करो
ज्यादा समय बचा है ग़र तो,मुझे समझाने का पाप करो
जीवन में तुम्हें तो अभी बहुत संघर्ष करना बाकी है
तुम्हारे संघर्षों में ही तुम्हारे सपनों की,पूर्ण होती झांकी है
भूलकर भी भूल से हम तुम्हें,ऐसे ही जाने नहीं देनेवाले
नाव खुद की खुद से ही हैं,हम सदैव ही खेने वाले
पाँचवीं से बारहवीं तक का ये सफर अभी भी जारी है
माता-पिता की आशाओं की भी तो अब जिम्मेदारी है
लाख मुश्किलें आजाएं पर तुमको नहीं बिखरना है
अभी तो जीवन में आगे तुम्हें हीरे सा निखरना है
आज जैसे ही भविष्य तुम्हारा सदैव,आबाद रहे
सफलताओं के तले तुम्हारी हस्ती ऐसे ही जिंदाबाद रहे
अंत में जन्मदिन की तुमको शुभकामनाएँ अनेकान
जीवन में सदैव आगे बढ़ो,आसमां से ऊंची भरो उड़ान

© प्रांजल यादव

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