...

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सुकून
सुकून की तलाश

में ना जाने कहाँ से कहाँ आ गए हम

भटके हुये मुसाफ़िर थे पहले हम
जब से तुम हो मिले मंजिल मिल गयी हमें

बेवजह मुस्कुराने की वजह बन गए हो तुम
जाना कैसे कहुँ कितने खास हो मेरे लिये तुम

नसों में दौड़ती लहू सा अहसास है तेरा
रूह में समाया है मेरे महोब्बत तेरा

खुली बंद आँखो में सपना सजाया है तेरा
सजदा तेरा हरलम्हा हम करते है तुमझे रब जो दिखता है

मन्नतों का धागा बांध लिया है तेरे नाम से
बुरी नजर ना लगे किसी की इस लिये काला टीका लगा लिया है कान के पीछे

कमाल उसकी नजरें करम का है मुझपे
जब से मिला है वो मुझे बिन सँवरे ही निखर गयी हुँ मैं