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शीर्षक - कर सारंग दो।
शीर्षक - कर सारंग दो।

चुनरी पड़ी सादी सी,
भीगी नहीं सूट कहीं।
लो ग़ुलाल हाथ में,
दो उछाल पिया सही।

भरलो बाहों में अपने,
चढ़ा प्रीत रंग दो मुझे।
मन की समझो दशा,
लो कर सारंग दो मुझे।

दूरी न बनाओ मुझसे,
कर सजना लो मनमानी लो।
दो ज़रा ध्यान मुझपे,
लो मुझपर उछाल पानी लो।

हाथों को थाम हाथों से,
कर दो चार प्यारी बात दो।
पिचकारी उठाओ तो,
कर फव्वारों की बरसात दो।

बिन आप ये होली कैसी,
क्या ऐसे ही होली मनानी है।
बता भी दो बात क्या है,
क्या अभी ही मुँह फूलानी है।

नोकझोंक भूलों बात,
लो मैं ही माँगती हूँ माफ़ी।
छोड़ो नाराज़गी अब,
आओ खेले होली बाकी।

©Musickingrk