...

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उम्र साँसो की पनाह में
उम्र साँसो की पनाह में जी रही है
हर रोज़ खर्च हो रही है साँसे

लोग सोचते है हम ज़िंदगी जी रहे है
हर रोज़ ले लेते है जाने कितनी सांसे

इन साँसो के सहारे सब जी रहे है
सबके साथ खेल खेल रही है ये साँसे

हम इसे ज़िन्दगी समझ रहे है
पता नहीं सबको कितनी मिली है ये साँसे

साँसे सब बे-धड़क रोज़ ले रहे है
किसी के वश में नहीं है ये साँसे

साँस मौत को थमा कर रुक रही है
सबको रुला कर विदा ले रही है ये साँसे

© Nutan Jain