2 views
बढ़ते ही रहना
#अपराध
"मन मौन व्रत कर आज भी अपराध करता है,
किस भांति देखो वह यहां आघात करता है ।
हर व्यंग्य पर गंभीरता का प्रहार करता है,
खुशियों के हर एक पल पर वह वार करता है।।
कर नियंत्रण आज मन पर, सुख मिलेगा,
दिल खोल कर हंस लो जरा, हर दुख मिटेगा।
लक्ष्य चुनकर मत ठहर, चलते ही रहना,
है कठिन यह पथ तुम्हारा, बढ़ते ही रहना।।"
© देवेन्द्र कुमार सिंह
"मन मौन व्रत कर आज भी अपराध करता है,
किस भांति देखो वह यहां आघात करता है ।
हर व्यंग्य पर गंभीरता का प्रहार करता है,
खुशियों के हर एक पल पर वह वार करता है।।
कर नियंत्रण आज मन पर, सुख मिलेगा,
दिल खोल कर हंस लो जरा, हर दुख मिटेगा।
लक्ष्य चुनकर मत ठहर, चलते ही रहना,
है कठिन यह पथ तुम्हारा, बढ़ते ही रहना।।"
© देवेन्द्र कुमार सिंह
Related Stories
12 Likes
0
Comments
12 Likes
0
Comments