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खुशियों का कारोबार

एक छोटा सा बालक था
जो समुंदर के किनारे गुब्बारे बेचता था
अपने पैसों के लिए...
उन रंग बिरंगे गुब्बारों से,
उसकी परीश्रम छलांग लगाती थी,
लोगों उसे खुश देखते थे
वह उन्हें देखता ही रह जाता था,
उनके पास आता था,
उनसे अपनी मांग की ओर हाथ बढ़ाता था.....
उसकी मुस्कान में कुछ हैरानी सी थी,
जैसे कि वह सोचता होगा कि
क्यों मैं हूं इतना गरीबी में?
मैं क्यों हूं ऐसा, मेरे पास मेरे माँ-बाप नहीं हैं,
मैं अपनी छोटी सी बहन का पलन-पोषण,
करने के लिए कमाता हूं पैसे.....
उसके बराबर का एक छोटा सा
अमीर बालक भी था,
जिसने अपने पापा से कहा,
उन खुशियों के गुच्छे को खरिदने के लिए,
जो खुशी से जीता था अपनी ज़िन्दगी को,
लेकिन वो समझ नही पाया
बेखौफ जिंदगी से
सुख-दुख की परिभाषा......
रंग बिरंगे गुब्बारो में जितने रंग थे,
उसकी दुनिया उतनी ही बेरंग थी,
गरीबी की मार ने,
उन रंगो से उसकी मुस्कुराहट चुरा के,
किसी और को मुस्कान दे दी,
उसके होठ और उसकी जिंदगी फिकी हो गई....
मैंने उससे गुब्बारा माँगा,
वह मुस्कुराता हुआ देता है,
मुझे उसके दर्द का एहसास होता है,
मैं उसके लिए दुआ करती हूं,
रब से प्रार्थना करती हू........
ज़िन्दगी का सफर
हमें कई मुकाम पर ले जाता है,
हमें कई इम्तेहान देने होते हैं,
हमें कई चुनौतियों से गुजरना पड़ता है,
लेकिन हमें हमेशा सोचना चाहिए कि,
हमारे साथ कौन सा
छोटा सा बालक होता होगा,
जो हमें यह सिखाता है कि,
जिंदगी कितनी मुश्किल होती है,
पर हमें खुशियों कारोबार करना होता है,
कई बार हमें खुशियां खरीदनी होती है,
कई बर खुशिया बेचनी होती है......
© --Amrita

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