...

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ना जाने दरबदर......
ना जाने दरबदर हम किसे ढूंढ रहे थे
किसकी चाहत को दिल में लिए हम
हर मुखौटे को ताक रहे थे........ !!

ढूंढने में उनको हम कोई कसर नहीं छोड़े थे
पाँव के छालों ने भी हमें ना रोक पाए थे !!

पागलों की तरह ढूंढने लगे जो सब पागल ही मान लिए थे
पत्थर की मार और तानों के साथ हम मोहब्बत को जी रहे थे !!

जनम जनम का जो वादा था उसे एक जनम में ना जिए थे
अगले जनम का पता नहीं पर इस जनम में एक अधूरी आस लिए थे !!

ना जाने दरबदर हम किसे ढूंढ रहे थे
किसकी चाहत को दिल में लिए हम
हर मुखौटे को ताक रहे थे........ !!

जयश्री✍️