...

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मन अंधकार
संग चल ले उम्मीद हमदम,
मंज़िलों की ओर बढ़ते कदम।
हौसलों का रख बस छाता,
कर परित्याग फिजूल की चिंता।

"निराश" से रह कोसों दूर,
चख सफ़लता का फल हुजूर।
तू चलेगा,तो मिलेंगे रास्ते,
ढूंढेगेेे वो ही पराकाष्ठा तेरे वास्ते।

लेना शनैः शनैः "फ़ैसले",
उगाना स्नेह की केवल फसलें।
उसकी रज़ा में रह राज़ी,
पलटेगी तकदीर एकदिन बाज़ी।

आस का पहनकर चोला,
रख स्वाभिमान का द्वार खुला।
होंगी चहुँ ओर"जयकार",
"गिल" मिटेगा मन का अंधकार।
© Navneet Gill