...

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रिश्ते....स्वीकार
#स्वीकार
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते हैं रिश्ते
हाँ तो तुमने भी किया होगा।

वो बात सही अपनों से अपने मिलते हैं,
मनभाव एकसम तभी संग में चलते हैं।
बने भाग्य से बनते हैं ये रिश्ते,
विश्वास टूटा तो टूटे और रिस-ते।

जब भी बने कोई भी रिश्ता,
विश्वास की कसौटी पर निखरता।
जितना निश्छलता मन में भरी होगी,
संबंधों की नींव उतनी ही गहरी होगी।

संबंध जब बिखरते हैं,
अपने ना अपने लगते हैं।
बैर भाव मन में भर जाता,
रिश्तों को खंडहर कर जाता।

© Mr. Busy