...

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गिले शिकवे
ए जिंदगी तू समझता रहा
मैं तन्हा था
मगर मेरे आंसू थे मेरे साथ |

ए जिंदगी तूने
मेरी एक ना सुनी
मगर मेरी कलाम से मैं कहता गया |

चल फिर से खेले
मंजिल और सफर का खेल
जिसमें तू खेलता रहा ,
और मैं हार गया |

ए स्याही रात
चल फिर वो नज़्म सुने
जिसमें मैं रोता रहा
और तू चांद संग हंसता गया |

ए मौत
तू वक्त लगता रहा
और मैं
जिंदगी से अपने गिले शिकवे सुनाता रहा |


© ---AFNAN SIDDIQUE .