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क्या हम,चुप रहें ?
बुरा सुने देखे नही, और बुरा न बोले बोल।
यही चित्र का भाव है,यहीहै जीवन मोल।।
लेकिन है उस दौरका, होता था युद्ध में धर्म।
मर्यादा थी हर ठौर पर,थी हर आंख में शर्म।।
मानव गर होता मनुज, तो थी उत्तम बात।
म की जगह पर द खड़ा, अनाचार के साथ।।
तब देख बुरा जो चुप रहे, सुने देश द्रोह बात।
वह कायर कहलाएगा,जो रख दे मुंह पे हाथ।।
अनुचित घटना देखकर, करना होगा प्रतिकार।
जो समझे जिसी जुबांसे समझाना होगा यार।।
कायरता में रह सदा, अब बीते जुग की बात।
मुंह नहीं मोड़ें धर्म से, करे सभी मिल बात।।
यही चित्र का भाव है,यहीहै जीवन मोल।।
लेकिन है उस दौरका, होता था युद्ध में धर्म।
मर्यादा थी हर ठौर पर,थी हर आंख में शर्म।।
मानव गर होता मनुज, तो थी उत्तम बात।
म की जगह पर द खड़ा, अनाचार के साथ।।
तब देख बुरा जो चुप रहे, सुने देश द्रोह बात।
वह कायर कहलाएगा,जो रख दे मुंह पे हाथ।।
अनुचित घटना देखकर, करना होगा प्रतिकार।
जो समझे जिसी जुबांसे समझाना होगा यार।।
कायरता में रह सदा, अब बीते जुग की बात।
मुंह नहीं मोड़ें धर्म से, करे सभी मिल बात।।
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