...

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तोड़ कर दिल अपना वो तुम्हारा दिल रखता है
तोड़ कर दिल अपना वो तुम्हारा दिल रखता है...
हौसला ख़ुद से लड़ने का वो किस क़दर रखता है...

कह नहीं सकता चुप चाप हर बात वो दिल में छुपा कर रखता है...
जनाब वो हर एक ज़ख्म पर अपने मुस्कुराहट का मरहम रखता है ...

वो तमाम दुनिया के रंज ख़ुद में ही संजो कर रखता है...
कोई कुछ भी कह ले मगर वो होंठो को सी कर रखता है ...

आए जो तेरा ज़िक्र भरी महफ़िल में अगर अख़्तर...
वो अपने चेहरे इस बात का असर बखूबी रखता है ...

लहू रिसता है मगर वो फिर भी पैबंद ए ख़ामोशी लगा लिया करता है...
वो अपने हिस्से का एहद पूरी शिद्दत से निभा लिया करता है ....

नज़र झुका कर तेरे किस्से वफ़ा के वो भी सुना करता है ...
आए जो ज़िक्र मोहब्बत का तो वो खुल कर हंस लिया करता है ...

© sydakhtrr