मेरी आलोचना
सुबह से शाम शाम से रात,
होती रहती है सिर्फ़ मेरी ही बात।
किसी के पास नहीं है कोई काम,
उठते जगते सिर्फ लेते हैं मेरा नाम।
पीठ पीछे कितना करोगे मेरी बुराई,
ठंडे दिमाग से सोचो कुछ तो होगी मेरे में अच्छाई।
मेरे नाम के पीछे तुम्हारा समय होगा बर्बाद,
छोड़ो मेरी आलोचना और खुद हो जाओ आबाद।
—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
© Anki
होती रहती है सिर्फ़ मेरी ही बात।
किसी के पास नहीं है कोई काम,
उठते जगते सिर्फ लेते हैं मेरा नाम।
पीठ पीछे कितना करोगे मेरी बुराई,
ठंडे दिमाग से सोचो कुछ तो होगी मेरे में अच्छाई।
मेरे नाम के पीछे तुम्हारा समय होगा बर्बाद,
छोड़ो मेरी आलोचना और खुद हो जाओ आबाद।
—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
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