...

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सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं, जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद न मिलने दिया,
अपनों का साथ धीरे धीरे छूटता गया
मैंने भी पलटकर नहीं देखा, सब होने दिया

अपनी चाहतों, ख्वाहिशों को दफन होने दिया
सोचा नहीं, जो हुआ उसे होने दिया
जिसे पाना संभव नहीं,उसका मोह न होने दिया
अरमान, एहसास और जज्बात को कुचलकर
हृदय को कांच के टुकड़ों की तरह बिखरने दिया।

ग़म के सजदे में भी अपने को झुकने दिया
सोचा नहीं, जो हुआ उसे होने दिया
आंखों के सामने अपने खुशियों को जाने दिया
जो अपना हो ही नहीं सकता कभी, उसे क्यों रोकना
छोड़ दी उसका दामन और उसे सदा के लिए जाने दिया।
Ruchi Arun...✍️✍️