...

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ek Dil
दिल
मैं जब भी कहूं किसी से दिल मेरा भी धड़कता है
किसी के प्यार में
तब हर कोई बस यही सवाल कर जाता है
तुम्हारे अंदर दिल भी है क्या
अब किसी को कैसे समझाए
ये दिल जो अब दिल रहा ही नहीं
इस दिल को किसी ने एक बार धड़का भी दिया
और उसी की एक तरफा आशिकी ने पत्थर बना दिया
किसी ने बेदर्द इंसान समझ कर इस दिल को रुला भी दिया
तो किसी ने इस दिल के साथ थोड़ा खेल भी लिया
हर किसी ने अपने हिसाब से मेरे से दिल लगा भी लिया
और जब बात आई हमारे दिल लगाने की तो
हर किसी ने अपनी अपनी जगह दिखा भी दिया
हर किसी ने अपने हिसाब से हर किसी को बसा लिया
पर हम आज भी उसी दिल को लिए फिरते है
हर बार ये नादान दिल हर किसी से दिल लगा बैठता है
इसका तो कुछ नही जाता मगर
हम हर बार अपनी नजरों में गिरते है


© Nishu