प्रेम कवि
हाँ, मैं प्रेम कवि हूँ!
हाँ, मैं लिखता हूँ कविता प्रेम पर।
समझता हूँ हर घूँट प्रेम की,
जिसकी बूंद का स्वाद अभी अधर् को मिला नही,
बतता हूँ उसे मधु-सा मीठा अब भी!...
हाँ, मैं लिखता हूँ कविता प्रेम पर।
समझता हूँ हर घूँट प्रेम की,
जिसकी बूंद का स्वाद अभी अधर् को मिला नही,
बतता हूँ उसे मधु-सा मीठा अब भी!...