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शीर्षक - भाई-बहन का रिश्ता।
शीर्षक -भाई-बहन का रिश्ता।
हो बात कोई भी ग़र छुपानी घर से,
फ़िर रिश्वत का खेल बेशुमार होता है।
आए समान नया कुछ भी घर में,
तो घर में फ़िर मेरा-मेरा पुकार होता है।
दुम की तरह टेढ़ा इनका रिश्ता,
जिसमें ज़रा भी नहीं सुधार होता है।
हर बात पर तनातनी बनी रहती,
हर दिन एक-दूसरे से मार होता है।
करता कोई परेशान उसी बहन को,
तो वही भाई पहले तैयार होता है।
बनकर कवच करता उसकी रक्षा,
हर बहन का भाई हथ्यार होता है।
इसी रिश्ते को मजबूत करने वाला,
रक्षाबंधन का प्यारा त्यौहार होता है।
जिस दिन हर कलाई सजती डोर से,
हर भाई से तोहफ़े का इंतज़ार होता है।
कभी प्यार तो कभी तक़रार,
भाई-बहन का ऐसा ही प्यार होता है।
और क्या कहूँ इस रिश्ते पर,
ये रिश्ता सबसे शानदार होता है।
©Musickingrk
#rakhilove
हो बात कोई भी ग़र छुपानी घर से,
फ़िर रिश्वत का खेल बेशुमार होता है।
आए समान नया कुछ भी घर में,
तो घर में फ़िर मेरा-मेरा पुकार होता है।
दुम की तरह टेढ़ा इनका रिश्ता,
जिसमें ज़रा भी नहीं सुधार होता है।
हर बात पर तनातनी बनी रहती,
हर दिन एक-दूसरे से मार होता है।
करता कोई परेशान उसी बहन को,
तो वही भाई पहले तैयार होता है।
बनकर कवच करता उसकी रक्षा,
हर बहन का भाई हथ्यार होता है।
इसी रिश्ते को मजबूत करने वाला,
रक्षाबंधन का प्यारा त्यौहार होता है।
जिस दिन हर कलाई सजती डोर से,
हर भाई से तोहफ़े का इंतज़ार होता है।
कभी प्यार तो कभी तक़रार,
भाई-बहन का ऐसा ही प्यार होता है।
और क्या कहूँ इस रिश्ते पर,
ये रिश्ता सबसे शानदार होता है।
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