...

18 Reads

// समय सारणी //

मैं और मेरी परछाई सिमटे से,
सागर तरनी सिमटी लहरों से;
समय सारणी जीवनी किस्से,
जगत समय सारणी के हिस्से।

चित्तवन चलत भावना लहर,
चितवन पहुंच वहां गयी ठहर,
नयन चलचित्र चले चारों पहर,
मन गीत कथा शाम-ओ-सहर।

पवन पावनी घुले सुर - संगीत,
ह्रदय -नीड़ बना बने मन गीत;
रक्त बन मौन बहे ह्रदय - प्रीत,
दृश्यम नभ बदरिया मन मीत।

मैं और मेरी
परछाई नयन खुलत करत भेंट,
बाग़ बग़ीचे विस्तृत चर्चा अनेक;
नित दिन संग शुरुआत प्रत्येक,
हम संग चले जीवन पथ हरेक।

दोनों सांझ ढले सिमट हुए एक,
चारु चंद्र किरण
विचार छू चित्त करें अभिषेक;
ह्रदय अतल सिमट गये सर्वश्रेष्ठ,
सागर
तरनी लहर से भाव लिये समेट।