...

15 Reads

सुगंधित - सुमन सुधा महक रही प्रत्येक,
तितली !
पुष्प पंखुरी पर मंत्रमुग्ध लिखे प्रेम लेख;
डाल- डाल पर सुंदर तितली उड़ती देख,
श्यामल- भंवरा मन मचल गया अतिरेक ।

गुनगुनाती गीत गुन्जन प्रणय प्रेम भजन,
तितली अपनी लगन स्वयं- संसार मगन;
डाल- डाल करे मधुर प्रेम अमृत संचयन,
प्रफुल्लित ह्रदय अतल मृदुल- प्रेम मंथन ।

गर्दन मटक केश झटक नैना मटक देख,
तितली को रिझाने के प्रयत्न करे अनेक;
अंजान
बनी छटी इंद्री से भांप गयी सभी- भेद,
भंवरा
भुनभुनाता खो आपा लांघा मर्यादा रेख ।

क्रोध अग्नि में धधक अबला उठी सुलग,
भ्रमर हुआ भृंग प्रतिकार ज्वाला झुलस;
भौंरे का टूट बिखर गया स्वप्न प्रेम क्लश,
मधुकर जीवन को लगा अपषकुन कलंक।

युगों युगों से दोनों का सास बहू से संबंध,
उस क्षण से दोनों के मध्य चल रहा द्वंद;
आजतक चूहे बिल्ली से खेल रहे शतरंज,
दोनों एक दूसरे पर कसते नित्य नव तंज़।