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ये जो तेरे मुख पर है,गुरुर,
दो नशीले नयनों का सुरुर;
तुझे कुछ तो हुआ है ज़रुर,
बिखरे गेसू का क्या कसूर।

मृग- नयन बोझिल पलक,
कज्जली बदरी सी झलक;
मुख गगन चाँद सी फलक,
अधर एक मौन सी ललक।

पंछी- पवन गाएं प्रेम गीत,
नित्य पूछते कौन मन प्रीत;
नभ चांदनी ढूंढ़त मनमीत,
मुख ललिमा किसकी रीत।

(Pic Source- Pinterest)