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मुख उसके सुन्दर छटा, उसपे काली रेशम घटा; गगन चाँद रहा छटपटा, नैन सुंदर स्वप्नों से पटा। नभ से नैन कैसे ले हटा, विस्मृत मन उसपे डटा; चित्त भिन्नभाव से अटा, नादान दिल नन्ही खता।
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