...

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मुख उसके सुन्दर छटा,
उसपे काली रेशम घटा;
गगन चाँद रहा छटपटा,
नैन सुंदर स्वप्नों से पटा।

नभ से नैन कैसे ले हटा,
विस्मृत मन उसपे डटा;
चित्त भिन्नभाव से अटा,
नादान दिल नन्ही खता।