...

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सोचता हूं तुम कैसी थी
जब मैं नहीं था ,

तुम्हारी आंखें ,तुम्हारे गाल ,तुम्हारी झुर्रियां ,
तुम्हारे माथे पर लहराते वो थोड़े से सफेद बाल,
कभी जब ये सब कुछ नहीं था
सोचता हूं तुम कैसी थी
जब मैं नहीं था,

कभी तुम्हें भी तो पसंद रहा होगा ना
छतों में चढ़ना,
कोने में बैठ कर
सहेलियों से घंटे बातें करना
और उन्हें छेड़ना,
कभी तब जब किसी के हृदय में कोई भेद नहीं था,
सोचता हूं तुम कैसी थी
जब मैं नहीं था,

कभी तुम भी तो सजी होगी ना
लाल जोड़े में,
ओठों में लाली ,माथे में बिंदिया
हाथों में मेहंदी,
कभी तुमने भी तो रचाई होगी ना,
तब जब तुम्हारे प्रेम का हकदार मात्र वो एक ही था,
सोचता हूं तुम कैसी थी
जब मैं नहीं था,

तुम खेली होगी,
कूदी होगी,
हंसी होगी, रोई होगी,
खुशियां बांटने को जब
पूरा संसार रहा होगा,
तब जब तुम्हारा गम बांटने को कोई नहीं था,
सोचता हूं तुम कैसी थी
जब मैं नहीं था,

जब लगा होगा तुम्हें कि
अब संसार पूरा है तुम्हारा,
बच्चे हैं, घर है, संतुष्टि है,
सब कुछ है,
तब कभी जब मैं तुम्हारी कल्पनाओं में भी नहीं था,
सोचता हूं तुम कैसी थी
जब मैं नहीं था।।।।।।