...

3 views

पता नहीं क्यों... 💙💚
💚 - पता नहीं क्यों?
पर मेरी सारी कल्पनाएं मुझे प्रेरित करती हैं तुम्हे और तुम्हारे उन एहसासओ को इस कलम की मदद से उन्हें मेरे अंदर से निकाल कर इस पर लिखने के लिए l
हाँ याद मुझे हमारी वो मुलकात भी जब तुम मुझ से इतनी ख़फ़ा जो थी मानो जैसे किसी पौधे से फूल उदासी के कारण मुरझा सा गया हो और क्यों न हो प्रेम नहीं स्वीकारता प्रेमियों के बीच मे आये उन विकारो को उसे चाहिए बस समर्पण l
उस दिन मैंने तुमसे ये सवाल किया?
कैसी हो..?
क्या हुआ..?
जिस दिन तुम इन सवालों के जबाब नहीं देती मे समझ जाता हूँ इसका कारण जरूर नाराजगी हैं l उस दिन
तुमने मेरी तरफ देखा, हर बार की तरह मुझे घबराहट होने लगी. मै चल तो तुम्हारे साथ रहा था l पर लगा तुमने चुप्पी से मुझे बहुत दूर धकेल दिया l
और तुम्हारी चुप्पी मुझे अंदर से खाई जा रही थी कई बार इस सवाल को बार बार धोराने के बाद तुम्हारी चुप्पी टूटी और तुमन्हे कहा शायद वो सच बोलता हैं "तुम्हे सिर्फ भूख हैं मेरी" मेरे पास उस समय कुछ नहीं था बोलने को थी बस एक लम्बी खामोशी...
तुमने मेरी खामोशी देखी, उठी वहाँ से जाने को कहा और पलट कर चलने लगी. मैंने पीछे से आवाज दी और कहा
"एक आखरी बात पूछूँ"?
तुमने मेरी तरफ देखा और मुस्कराते हुए कहा "सवालों को ऐसे मारने की कोशिश करोगे तो आखिर मे एक भारी से मन के सिवा कुछ नहीं रहेगा तुम्हारे पास. पूछ लिया करो, जबाब नहीं भी मिलेगा तो कम से कम सवालों का बोझ ही कम हो जायेगा."
मैंने पूछा "वो जो तुमने अभी भूख की बात की थी वैसे ही किसी को बहुत प्रेम करना हो तो क्या उसके लिए भी हमें अपने आप मिल जाते हैं लोग?"
तुमने मुझे समेट लिया अपनी बहो मे और मुस्कराते हुए कहा नहीं l
💚 - देखो न आज भी मेरा सर कितना उदास और दुख रहा हैं तुम्हारी कंधो के बिना
💙- तुम भी ना चलो लाओ अपना उदास सर।

© All Rights Reserved