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सहानुभूति या कुछ और ! ( भाग - २ )
इतना कहकर भावना अपने घर चली गई ।और अपने में ही बुदबुदाने लगी, की आदमी औरत को बस अपनी जागीर समझता है ।अगर वह कुछ करना चाहे तो करने नहीं देते है ।बेचारी सृष्टि पता नहीं कैसी झेल रही होगी यह सब ,ऐसे ही भावना खुद से ही बातें कर रही थी ।बहुत देर से उसके हस्बैंड यह सब देख रहे थे। आखिर में उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने कहा क्या बात हो गई ,तुम बच्चों को स्कूल बस में छोड़ने गई थी ,या मूड खराब करने ।ऐसी क्या बात हो गई जो तुम उखड़ी- उखड़ी सी हो ।अभी तो सब कुछ ठीक था ,भावना ने चिढ़ते हुए कहा की आदमी खुद को समझता क्या है ।अगर औरत कुछ करना चाहती है तो उस पर कई इल्जाम लगाकर उसको घर में बंद करके रखना लेता हैं ।ताकि वह खुद से कुछ कर ना सके। यह सुनकर भावना के हस्बैंड ने कहा अरे भई मेरे पर क्यों बरस रही हो। मैंने क्या कर दिया क्या बात हो गई इतना गुस्सा क्यों कर रही हो ।भावना ने कहा वह सृष्टि है ना उसके पति ने उससे कोचिंग छुड़वा दी ।और उस पर तरह तरह के इल्जाम लगा रहे हैं । उसके हस्बैंड लगते तो ऐसे हैं नहीं ,कितने शरीफ हैं मुझे पता नहीं था ,कि वो इतने शक्की मिजाज के है।सृष्टि कैसे रहती होगी और भावना अपने हस्बैंड को सारी बातें बताने लगती है।यह देख कर उसके हस्बैंड भी सहानुभूति दिखाने लग गए और बोलने लग गए की सृष्टि तो बहुत अच्छी लड़की है ।उसके हस्बैंड को उसमें ऐसे शक नहीं करना चाहिए फिर ऐसे ही भावना अपने हस्बैंड को सृष्टि के बारे में बताने लगी। जिस दिन भावना कुछ नहीं बताती उसने उसके हस्बैंड उसको पूछने लग जाते कि सृष्टि कैसी है ।उसके हस्बैंड के साथ उसकी सुलह हुआ कि नहीं वगैरा-वगैरा भावना भी साफ मन से उनको बता देती ।जो उसे पता होता ऐसे ही कुछ दिन बीत गए सृष्टि और उसके हस्बैंड ने आपस में बात करके बिगड़ी बात को सम्भाल लिया।उसके घर वाले भी आए और उन्होंने भी दोनों को समझाया फिर दोनों में सुलह हो गई और परिवार का माहौल सही हो गया ।सृष्टि ने भी घर में पढ़ना मुनासिब समझा और उसके हस्बैंड ने भी परिस्थितियों को समझा वह भी कुछ बदलने लग गए। ऐसे ही 1 साल गुजर गया अब दोनों ने अपनी कुछ आदतों में सुधार करके अपने घर में शांति ला दी।बाकी सृष्टि और भावना की दोस्ती और गहरी हो गई ।वह दोनों अपने सुख-दुख बांटने लग गए।एक दिन सृष्टि के फोन पर भावना के हस्बैंड का मैसेज आया।
आगे का भाग जल्दी आयेगा।
© Anu