...

4 views

आत्म संगनी के दिल का तिल
आत्म संगनी के दिल पर तिल

अब मेरी आत्म संगनी मेरे लिए पराई नही थी,मीलों दूर रहकर मुझसे बिना मिले उसके और मेरे बीच ऐसे अटूट संबंध की स्थापना हो चुकी थी जिसकी गहराई समंदर से ज्यादा गहरी और आकाश से ज्यादा ऊंची थी।अब उसका शरीर उसकी आत्मा मेरे प्रेम के बंधन में यूं आ चुकी थी जैसे अब हमारे बीच बने रूमानी रिश्ते में कोई दीवार नही रही। अब उसकी रूह से लेकर उसकी देह सब मेरे सामने एक किताब की तरह थी,जिसकी हर पन्ने पर मेरी जिंदगी,मेरी चाहत की इबारत लिखी हुई थी,उसकी मेरे प्रति आस्था समर्पण और मेरे लिए समर्पित भाव से स्नेह रूपी आलिंगन मेरी दिन भर की थकान को मिनटों में रफू चक्कर करने का माध्यम बन गई थी। उसका मेरे सामने समर्पण का ही परिणाम था की उसकी धड़कन मेरे दिल में सुनाई देने लगी थी। उसके सीने में एक दिल ओर दिल के ठीक बीच में काला तिल मेरे उसके दिल की निगरानी का सामान था,उसकी धड़कनों को सुनने और अहसास करने की वजह था। उसके सीने का काला तिल