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उसका नाम राधिका था (भाग्य 1)
जब देखा तो ऐसा लगा मानो दुनिया थम गई, इतनी प्यारी आँखें जिसमें कई सारे बातें थी। छुप छुप कर प्यार होता है, ये पहली बार महशुस किया। जैसे ही मैंने आँखें खोली तो दोपहर के तीन बजने वाले थे, और मैं अपनी पहली ही क्लास के लिए लेट होने वाला था। तो एक कॉपी को बेग में डाला और रूम से भागता हुआ ट्यूशन पहुँचा। सर तो अभी नहीं आए थे, परंतु भीड़ बहुत थी। सौ से अधिक बच्चे एक साथ बैठे हल्ला कर रहे थे, सबसे अंजान मैं पीछे की एक सीट पर बैठ गया। क्लास में सबको देख रहा था, तब अचानक से मेरी आँख एक आँख से टकराई, भीड़ में बस उसकी आँखें दिख रही थी। पहले तो उससे ख़ुद को दूर करने की कोशिश की परंतु न जाने क्यों मेरी आँखें बार बार उस मतवाली आँखों से टकरा ही जा रही थी और मैं बस उसकी आँखों...