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टूटते बिखरते परिवार : (भाग 1)
शिल्पा जब ब्याह कर ससुराल आई तो एक दिन सोहन ने उससे कहा, ‘शिल्पा मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं या यूं समझ लो कि कुछ मांगना चाहता हूं।
‘हां बोलो ना, क्या बात है सोहन?
‘शिल्पा मैं जानता हूं तुम इतनी ज़्यादा पढ़ी लिखी हो और आजकल हर लड़की अपने पैरों पर खुद खड़ी होना चाहती है। हो सकता है तुम भी यही चाहती हो?
‘सोहन तुम कहना क्या चाहते हो? मुझे खुल कर बताओ?
‘शिल्पा यदि हो सके तो तुम नौकरी मत करना। मां का पूरा जीवन ही बीत गया सब के लिए करते हुए। मैं चाहता हूं कि उन्हें भी अपनी बहू के आने के बाद थोड़ा आराम मिले। मैंने देखा है शिल्पा पहले हमारा संयुक्त परिवार था चाचा-चाची, ताऊ-ताई और सब के बच्चे साथ ही रहते थे। जब तक वे साथ रहते थे तब तक ताई और चाची हमेशा काम से जी चुराती थीं और पूरा काम मां के ऊपर ही आ जाता था।
काम वाली क्यों नहीं लगाई सोहन?
‘काम वाली तो सिर्फ बर्तन और पोंछा करने के लिए ही थी ना शिल्पा, लेकिन घर में कितने काम होते हैं तुम तो जानती ही होगी। परिवार यदि संयुक्त है तब तो पूछो ही मत। मां को हमेशा सबने बहुत ही हल्के में ले लिया था। सब उनसे अपना काम निकलवा लेते थे। मां बेचारी कभी भी किसी को मना नहीं कर पाई।
‘शिल्पा काम वाली तो हम और काम के लिए भी रख ही सकते हैं। लेकिन दिन भर यदि मां को तुम्हारा साथ भी मिल जाएगा तो उन्हें भी अच्छा लगेगा। शिल्पा यह कोई जबरदस्ती नहीं है यह केवल मेरे मन की बात है जो मैं चाहता हूं मगर यदि तुम ऐसा नहीं करना चाहती तो कोई बात नहीं। मां तो जब तक उनके हाथ-पांव चलेंगे, सब संभालती ही रहेंगी।
शिल्पा ने कहा, ‘यदि ऐसी बात है तो मैं नौकरी के बारे में कभी सोचूंगी भी नहीं। मैं उनका पूरा ख्याल रखूंगी।
सोहन ने खुश होते हुए कहा, ‘थैंक यू शिल्पा लेकिन तुम घर से जो चाहो कर सकती हो जिसमें तुम्हें रुचि हो।
शिल्पा ने इसके बाद नौकरी के विषय में कभी सोचा ही नहीं। वह 11वीं तथा 12वीं के बच्चों की ट्यूशन लेने लगी। घर के कामकाज के बाद वह बच्चों को पढ़ाती थी और इसके अच्छे खासे पैसे भी मिल जाते थे। शिल्पा घर का ख्याल भी रख रही थी और कमा भी रही थी। वंदना और शिल्पा बड़े प्यार से मिलजुल कर काम करते थे.......

Further story in next part.....

© kittu_writes