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हाथी और चींटी
एक बार की बात है, जंगल में एक हाथी रहता था जिसका नाम बब्बर था। बब्बर बहुत बड़ा और शक्तिशाली था, लेकिन उसकी अहंकारी आदतें भी उसे प्रशंसा के लिए मशहूर कर रही थीं। एक दिन बब्बर एक चींटी से मिला।

चींटी नाम थी छोटी। वह बहुत छोटी थी लेकिन बहुत ही मेहनती और समर्पित थी। बब्बर ने छोटी को देखकर मजाक उड़ाने लगा और उसे अपनी बड़ाई सुनाने लगा। छोटी ने धीरे-धीरे कहा, "हाथी जी, आप तो बहुत शक्तिशाली हैं, पर क्या आप मुझसे एक छोटी सी सेवा कर सकते हैं?"

बब्बर ने हंसते हुए कहा, "तुम मुझसे कैसी सेवा चाहती हो, तुम तो मेरे सामने एक छोटी सी चींटी हो।"

छोटी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाथी जी, कृपया मुझे अपने पूंछ पर चढ़ने की व्यवस्था कर दें, मैं उसे धन्यवाद के रूप में आपके लिए एक विशेष उपहार ले आऊँगी।"

बब्बर न सोचा, फिर उसने छोटी को अपने पूंछ पर बैठने की इजाजत दी। छोटी ने धीरे-धीरे बब्बर के पूंछ पर चढ़कर उसे धन्यवाद कहा और उसने एक खास मिठाई उपहार में दी।

बब्बर ने वास्तव में उस छोटी से सीखा कि आपकी आकार या साक्षात्कार आपके महत्व को नहीं दर्शाता। महत्वपूर्ण है कि आपका दिल और आत्मा कितनी उदार और समर्पित है।

बब्बर ने इस अनमोल सिख को जीवन में अपनाया और अब वह अपनी अहंकारी आदतों को छोड़कर अपने साथीयों की मदद करने लगा। उसने समझा कि सच्ची महानता में शक्ति नहीं, बल्कि समर्पण और उदारता होती है।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपनी छोटी-छोटी आदतों और गुणों का महत्व समझना चाहिए और दूसरों की मदद करने में समर्पित रहना चाहिए। इससे हम खुशियों को बढ़ाते हैं और एक बेहतर और संवेदनशील समाज का निर्माण
© Simrans